ट्रेंड ट्रेडर्स ऐसी स्टैटजी बनाते हैं जो किसी संपत्ति के रुझानों के एनालिसिस के आधार पर डेवलप की जाती हैं । एक ट्रेंड फॉलोइंग स्ट्रैटेजी इस उम्मीद पर टिकी होती है कि प्राइज़ की डेरेक्शन अपने मौजूदा फॉर्म में जारी रहेगी और ट्रेंड रिवर्स नहीं होगा । इसका मतलब यह है कि अगर आप एक अपट्रेंड की ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो आप अपनी लॉन्ग पोजिशन को जारी रख सकते हैं और संपत्ति के प्राइज़ में बढ़ोतरी देख सकते हैं, जबकि आप अपनी संपत्ति को बेचने का ऑप्शन भी चुन सकते हैं अगर ट्रेंड नीचे जा रहा हो ।
ट्रेंड के उदाहरण -
नीचे एक अपट्रेंड का उदाहरण दिया गया है, जो तब होता है जब प्राइज़ वेल्यू में बढ़ जाता है । ट्रेंड पैटर्न का मानने वाले ट्रेडर्स प्राइज़ लेवल बढ़ने पर एक लॉन्ग पोजिशन में एंट्री करके मूवमेंट से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करेंगे । जब ट्रेंड हायर हाई और हायर लो बना रहा होता है, तब यह अपट्रेंड दिखा जा सकता है ।
नीचे दिया गया चार्ट एक डाउनट्रेंड दिखाता है, जो तब होता है जब प्राइजड वेल्यू में घट रही होती है । ट्रेडर्स तब शॉर्ट जा सकते हैं और बिक्री की पोजिशन ले सकते हैं क्योंकि ट्रेंड लो हाई और लोवर हाई हो रहे होते हैं ।
साइडवेज ट्रेंड तब होते हैं जब प्राइज़ एक्शन न तो लो या हाई प्वाइंट तक पहुंचती है । आम तौर पर, ट्रेडर इस प्रकार के ट्रेंड के साथ कोई मुनाफा नहीं लेना चाहते हैं, जब तक कि वे बहुत शॉर्ट टाइम के प्राइज़ मूवमेंट का एनालिसिस नहीं कर रहे हैं, जैसे स्कालपिंग स्ट्रैटिजी में होता है ।
हमारे अवॉर्ड विनिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए ट्रेडर्स स्प्रेड बेटिंग के दौरान ट्रेंड फॉलोइंग स्ट्रैटिजी को लागू कर सकते हैं, जो अंडरलाइंग एसिट के प्राइज़ मूवमेंट पर अनुमान लगाने का एक उत्तम टैक्स तरीका है। डेरिवेटिव के साथ ट्रेडिंग के रिस्क को समझना ज़रूरी है, जैसे कि यह पहचानना कि ट्रेड की पोजिशन के नतीजे के रूप में उतना ही मुनाफा प्राप्त हो सकता है जितना कि नुकसान हो सकता है ।
हमारे प्लेटफॉर्म पर एक खास उपयोगी टेक्नीकल एनालिसिस टूल ट्रेंडलाइन बनाने की क्षमता है । प्राइज़ एक्शन और ट्रेंड की हर डायरेक्शन को बाहर लाने के लिए ट्रेडर कस्टमाइज़ चार्ट और ड्राइंग टूल का फायदा उठा सकते हैं, जिसे मल्टिपल टाइम चार्ट फ्रेम पर लागू किया जा सकता है । ये फीचर ट्रेडर को उनके एनालिसिस की क्वालिटी और भी हाई लेवल पर ले जाने में सक्षम बनाती है ।
ट्रेंड फॉलोइंग तकनीकों का इ्स्तेमाल उन स्ट्रैटिजी के लिए किया जा सकता है जो शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म पर ध्यान केंद्रित करते हैं ।
शॉर्ट टर्म ट्रेंड ट्रेडिंग
शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स जैसे कि डे ट्रेडर्स उन ट्रैंड पर अपनी नज़र रखना पसंद करते हैं जो शॉर्ट-टर्म प्राइज़ में उतार-चढ़ाव से मुनाफा उठाने के लिए शॉर्ट टर्म में पूरे दिन चढ़ते हैं । ऐसी कई पॉपुलर स्ट्रैटिजी हैं जिनका इंट्राडे ट्रेडर इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, जैसे कि स्केलिंग और अलग-अलग इंट्राडे ट्रेंड की बहुत सी स्ट्रैटिजी भी हैं ।
लॉन्ग टर्म ट्रेंड ट्रेंडिंग
लॉन्ग टर्म के ट्रेंड ट्रेडिंग में किसी पोजिशन को लंबे समय तक बनाए रखना शामिल होता है, जो अक्सर एक अपट्रेंड में होता है और यह कुछ हफ़्ते, महीने या साल भी हो सकते हैं। लॉन्ग टर्म के ट्रेडर फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर फैसला लेते हैं जो खासतौर से इस बात पर टिका होता है कि आने वाले कल में मार्केट कैसा दिखेगा । जब ट्रेंड एनालिसिस की बात आती है, तो लॉन्ग टर्म के ट्रेडर डेली ट्रेंड के उतार-चढ़ाव से कम चिंतित होते हैं और लॉन्ग टर्म के ट्रेंड और इसके असरदार फैक्टर पर ज़्यादा फोकस करते हैं ।
ट्रेंड ट्रेडिंग एक स्ट्रैटिजी है जिसमें ट्रेडर को फाइनेंशियल टूल के लिए ट्रेंडलाइन की डायरेक्शन का एनालिसिस करना होता है। एक अपवर्ड ट्रेंड के लिए, ट्रेडर लंबे समय तक जाने और खरीदने की कोशिश करते हैं और जब एक शेयर या संपत्ति में गिरावट देखी जा रही होती है, तो ट्रेडर को शॉर्ट करना और बेचना होगा ।