टेक प्रॉफिट (टीपी) एक खास दर पर एक ट्रेड को बंद करने का निर्देश है जो ये तय करने में मदद करता है कि अगर कीमत आपके पक्ष में जा रही है, तो जो मुनाफा प्राप्त हो वह आपकी मौजूदा शेष राशि में चला जाए ।
नॉन-लीवरेज्ड BUY पोजीशन को छोड़कर हर पोजीशन पर टेक प्रॉफिट ज़रूरी है। आप अपना टेक प्रॉफिट बाजार में एक विशिष्ट दर के अनुसार या करंसी के रूप में निर्धारित कर सकते हैं। अधिकांश ट्रेडों पर अधिकतम टेक प्रॉफिट आपकी निवेश की गई राशि का 1,000% +/- आपके वर्तमान P&L का 1,000% है। इसका मतलब है कि जैसे-जैसे आपका मुनाफा बढ़ता है, आप अपने टेक प्रॉफिट स्तर को लगातार अपडेट कर पाएंगे।
ट्रेड खुला होने पर आप किसी भी समय टेक प्रॉफिट को मैनेज कर सकते हैं। सामान्य बाजार स्थितियों के तहत, सेट हुई टेक प्रॉफिट की गारंटी नहीं है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, तो आपके मुताबित दिए टेक प्रॉफिट रेट पर बाजार में ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है। इस मामले में, टेक प्रॉफिट अगली उपलब्ध दर पर ट्रिगर होगा । इसका नतीजा यह होता है कि आप ट्रेडिंग पर उम्मीद से अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।
जब बाजार आपकी तय की गई दर को हिट करता है और आपने पहले से लाभ तय किया है तो टेक प्रॉफिट एक्टिव हो जाएगा और तुरंत आपकी ट्रेडिंग बंद कर देगा । एक प्रॉफिट टारगेट एक ट्रेडर को अपने टारगेट को बनाए रखने में मदद कर सकता है, चाहे वे कुछ भी हों ।
प्रॉफिट टारगेट का इस्तेमाल कम समय में तकनीकी व्यापारियों और दीर्घकालिक निवेशकों, दोनों के द्वारा उनके रिस्क मैनेजमेंट स्किम को बनाने के रूप में किया जाता है। ट्रेडर्स प्रॉफिट टारगेट का इस्तेमाल जोखिम कम करने की तकनीक के रूप में करते हैं क्योंकि बाजार हमेशा एक तरह से नहीं चलता है और अगर उचित समय पर प्रॉफिट नहीं लिया जाता है तो एक आकर्षक ट्रांजैक्शन का नुकसान हो सकता है ।
ट्रेडिंग में टेक प्रॉफिट कैसे काम करता है ?